इंसानो को अब
इंसान और इंसानियत की जरूरत कहाँ है ....!!!!!
जीने के लिए
एक मोबाइल का सहारा ही काफ़ी है ....!!!
अब तो भूलने लगे है भगवान
ख़ुद की भी सुध नहीं
ये मोबाइल की भक्ति
जब से जेहन में छाई है .....!!!!
कोयल की कू-कू की किसे परी
वो बगीचा, वो डगर
वो बारिश में दौरना
सब लगता अब बेईमानी है
जब से साहब अपना ईमान बना मोबाइल
बंद कमरे में ही अपना बजार, गोआ, बनारस है
छींक से डरकर बंद कमरें में रहते है
लगता है अब तो
प्रगति की राह में
करने लगे खुद से ही बेवफाई है. ...!!!!
https://gyan-vigyan.com/2022/05/shayri/
गीता और रमायन का ज्ञान. …!!!!
अब तो इंतजार का दीपक भी बुझने लगा है
मतलब की आंधी में जीवन के पत्ते
टूटने लगे है. ...!!!
सौदागर तो आप अच्छे थे जनाब
पर सौदा करने लगे भावना का
जिसे कई जन्म में ना समझ सके
खुद पालनहार
इसलिए आते है हर युग देने
गीता और रमायन का ज्ञान. ...!!!!
https://gyan-vigyan.com/2022/05/amir-kaise-bane/