8 May 2022
जब से साहब अपना ईमान बना मोबाइल…..!!!!
इंसानो को अब इंसान और इंसानियत की जरूरत कहाँ है ….!!!!! जीने के लिए एक मोबाइल का सहारा ही काफ़ी है ….!!! अब तो भूलने लगे है भगवान ख़ुद की भी सुध नहीं ये मोबाइल की भक्ति जब से जेहन में छाई है …..!!!! कोयल की कू-कू की किसे परी वो बगीचा, वो डगर वो बारिश में दौरना सब लगता...